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अनुभूति में दिगंबर नासवा की
रचनाएँ -

गीतों में-
आशा का घोड़ा
क्या मिला सचमुच शिखर
घास उगी
चिलचिलाती धूप है

पलाश की खट्टी कली

अंजुमन में-
आँखें चार नहीं कर पाता
प्यासी दो साँसें
धूप पीली
सफ़र में
हसीन हादसे का शिकार

संकलन में-
मेरा भारत- हाथ वीणा नहीं तलवार
देश हमारा- आज प्रतिदिन
शुभ दीपावली- इस बार दिवाली पर


 

आँखें चार नहीं कर पाता

उनसे आँखें चार नहीं कर पाता हूँ
मिलने से इंकार नहीं कर पाता हूँ

खून पसीना रोज बहाता हूँ मैं भी
मिट्टी को दीवार नहीं कर पाता हूँ

नाल लगाए बैठा हूँ इन पैरों पर
हाथों को तलवार नहीं कर पाता हूँ

सपने तो अपने भी रंग बिरंगी हैं
फूलों को मैं हार नहीं कर पाता हूँ

अपनों की आवाजें हैं पसमंज़र में
खूनी हैं पर वार नहीं कर पाता हूँ

सात समुन्दर पार किये हैं चुटकी में
बहते आंसूं पार नहीं कर पाता हूँ

कातिब हूँ कातिल भी मैंने देखा है
ख़बरों को अखबार नहीं कर पाता हूँ

२२ अगस्त २०११

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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