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अनुभूति में दिलशेर दिल की रचनाएँ -

आने वाले
किस्मत में क्या लिखा है
घोंसला जब भी डाल पर
दुश्मन नहीं कोई
मिलने नहीं वो आए
सस्ता सा व्यापार

  दुश्मन नहीं कोई

दुश्मन नहीं कोई मेरा इस जहान में!
अपनों से ख़ौफ़ है मुझे अपने मकान में!

फूलों ने, पत्थरों ने, ख़िज़ाँ ने, बहार ने,
तोहफ़े मैं दी हैं गालियाँ अपनी ज़बान में!

बेचूँ मैं किस तरह, कि ख़रीदार ही नही,
काँटे हैं बस बचे हुए मेरी दुकान में!

चलता रहा हमेशा मैं एक काफिले के संग,
अब कोई हमसफ़र नही, इस इम्तिहान में!

अख़लाक कर बुलंद कुछ इस तर्ज़ से 'ऐ दिल'
तुझ-सा हो फिर न कोई भी सारे जहान में!

२६ जनवरी २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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