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अनुभूति में दिलशेर दिल की रचनाएँ -

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किस्मत में क्या लिखा है
घोंसला जब भी डाल पर
दुश्मन नहीं कोई
मिलने नहीं वो आए
सस्ता सा व्यापार

  घोंसला जब भी डाल पर

घोंसला जब भी डाल पर रखना!
तिनका तिनका सँभाल कर रखना!

राह में सैकड़ों बिछे काँटे,
हर क़दम देख भाल कर रखना!

एक दिन तुमसे मिलने आऊँगा!
अपने आँसू सँभाल कर रखना!

क्यों चमकते हो जुगनुओं की तरह,
खुद को शम्मा-सा ढाल कर रखना!

अब तो घर में भी है बहुत मुश्किल,
अपनी इज़्ज़त सँभाल कर रखना!

काम है सिर्फ़ ये सियासत का,
घर में गुंडों को पाल कर रखना!

अच्छी आदत नहीं है काम कोई,
आज का कल पे टाल कार रखना!

सिर्फ़ इतनी-सी इल्तिजा है मेरी,
इस ग़ज़ल को सँभाल कर रखना!

२६ जनवरी २००९

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