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अनुभूति में जयप्रकाश मिश्र की रचनाएँ-

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कहता है तू महबूब
कई साँचों से
चिकनी मिट्टी

अंजुमन में-
आँधियों के देश में
कोई जड़ी मिली नहीं
कोई सुग्गा न कबूतर
गरमजोशी है लहजे में
मेरा यूँ जाना हुआ था
वफा याद आई

सजाना मत हमें
हवा खुशबू की

 

वफा याद आई

वफा याद आई, जफा याद आई,
वे शहतूत, छत, वो हवा याद आई।

वो बदनामियाँ, फब्तियाँ, वो मुहब्बत,
वो ख्वाबों की जलती चिता याद आई।

था बीमार मैं तो पिता और माँ की,
दवा याद आई, दुआ याद आई।

बड़े नास्तिक थे मगर आज विपदा -
में ईश्वर की उनको कृपा याद आई।

मैं राजा वो रानी, महल रेत वाला,
कि बचपन की इक दास्तां याद आई।

लगी भूख वोटों की जब रहबरों को,
किसानों की तब दीनता याद आई।

५ दिसंबर २०११

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