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अनुभूति में जतिन्दर परवाज की रचनाएँ-

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बारिशों में नहाना
मुझको खंजर
यार पुराने
यों ही उदास है दिल
वो नज़रों से

अंजुमन में-
आँखें पलकें गाल भिगोना
ख्वाब देखे थे
गुमसुम तनहा
जरा सी देर में
शजर पर एक ही पत्ता
सहमा सहमा

  ज़रा सी देर में

ज़रा सी देर में दिलकश नज़ारा डूब जायेगा
ये सूरज देखना सारे का सारा डूब जायेगा

न जाने फिर भी क्यों साहिल पे तेरा नाम लिखते हैं
हमें मालूम है इक दिन किनारा डूब जायेगा

सफ़ीना हो के हो पत्थर हैं हम अंजाम से वाक़िफ़
तुम्हारा तैर जायेगा हमारा डूब जायेगा

समन्दर के सफ़र में क़िस्मतें पहलू बदलती हैं
अगर तिनके का होगा तो सहारा डूब जायेगा

मिसालें दे रहे थे लोग जिसकी कल तलक हमको
किसे मालूम था वो भी सितारा डूब जायेगा

२ नवंबर २००९

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