अनुभूति में
जितेन्द्र जौहर की रचनाएँ-
अंजुमन में-
इतनी ऊँची उड़ान
खुशामद का मेरे होंठों पे
ठहरा हुआ जलाशय-सा
दौर-ए-हाज़िर
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दौर-ए-हाज़िर
दौर-ए-हाज़िर का अजब हाल देखिए।
हर सिम्त खड़े ताक में दलाल देखिए।
मैं लुट गया सफ़र में अभी कल की बात है,
रहबर की रहबरी का ये, कमाल देखिए।
दर्दो-सितम के दौर में देता नहीं दग़ा,
मेरा हबीब है यही रुमाल देखिए!
ननकू को आज भूख की नागिन ने डस लिया,
इक्कीसवीं सदी की ये मिसाल देखिए।
जीवन से भाग, रोटियों में, जब दिया गया,
उत्तर में मिला फिर नया सवाल देखिये।
शतरंज के प्यादे ने मेरे कान में कहा,
‘जौहर’ ज़रा घोड़े की कुटिल चाल देखिए।
१३ दिसंबर २०१०
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