अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में मधुप मोहता की रचनाएँ-

अंजुमन में-
अफसाना है क्या
दिल है, नगमानिगार रहता है
प्यार का मौसम
बरसती बारिशों की धुन

 

बरसती बारिशों की धुन

बरसती बारिशों की धुन पे लम्हें गुनगुनाते हैं
वो बरबस याद आते हैं, बरस यूँ बीत जाते हैं

किसी गुमनाम बस्ती के किसी अनजान रस्ते पर
मिला वो अजनबी, तो क्यों लगा, जन्मों के नाते हैं

कहानी की किताबों में न ढूँढो प्यार का मतलब
ये इक सैलाब है, इसमें किनारे डूब जाते हैं

नई तहज़ीब है, बाज़ार खुलने पे ये तय होगा
किसे वो भूल जाते हैं, किसे अपना बनाते हैं

मुहब्बत एक धोखा है, उसे अब कौन समझाए
न क़समें हैं, न वादे हैं, न रिश्ते हैं, न नाते हैं

७ जुलाई २०१४

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter