अनुभूति में
मधुप मोहता की रचनाएँ-
अंजुमन में-
अफसाना है क्या
दिल है, नगमानिगार रहता है
प्यार का मौसम
बरसती बारिशों की धुन
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दिल है,
नगमानिगार रहता है
दिल है, नगमानिगार रहता है
हाँ, तेरा इंतज़ार रहता है
ज़िन्दगी है, चलो ज़रा जी लें
जुनूँ, सर पर सवार रहता है
वक़्त पर तुम भी लौट आओगे
करार है, हाँ करार रहता है
बेसबब, बेसबर, तो तुम भी हो
मुझे ये ऐतबार रहता है
मिल के रो लेंगे, जानता हूँ मैं
तू क्यों ग़म में शुमार रहता है
७ जुलाई २०१४ |