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घास के झुरमुट में
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तेरी तस्वीर को
दिल से उसके जाने कैसा
बड़ी तकलीफ देते हैं
बाजार में बैठे
राह उनकी देखता है
साधना कर
हार किसी को

 

बाजार में बैठे

बाजार मैं बैठे मगर बिकना नहीं सीखा
हालात के आगे कभी झुकना नहीं सीखा

तन्हाई में जब छू गईं यादें मेरे दिल को
फिर आँसुओं ने आँख में रुकना नहीं सीखा

फिर आईने को बेवफा के रूबरू रक्खा
मैंने वफा की लाश को ढकना नहीं सीखा

जब चल पड़े मंजिल की जानिब ये कदम मेरे
फिर आँधियों के सामने रुकना नहीं सीखा

१५ फरवरी २०१६
 

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