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अनुभूति में पूनम शुक्ला की रचनाएँ

अंजुमन में—
आपको इस कदर
चलते चलो
जवाब आते हैं
प्यार का आसमाँ
हर किसी में

 

हर किसी में

हर किसी में यहाँ क्यों खुदा देखना
अब तो बदली है देखो हवा देखना

पीली नीली ज़मी हो गई केसरी
खून जानूँ न किसका बहा देखना

हर तरफ आग है बस रुदन ही रुदन
फिर से टूटा कहीं हौसला देखना

जल रहा है शहर जल रहा देश है
किसने की है यूँ ऐसी खता देखना

आँसुओं की नदी हमने देखी यहीं
दर्दे गम इतना किसने सहा देखना

हर तरफ गम की बीमारी फैली हुई
मिलती होगी कहीं गर दवा देखना

२६ जनवरी २०१५

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