अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में सुरेन्द्र चतुर्वेदी की रचनाएँ-

अंजुमन में-
अलग दुनिया से हटकर
एक लंबी उड़ान
खुदाया इससे पहले
जिस्म के बाहर
पंछियों का आना-जाना
बदन से हो के गुजरा

 

खुदाया इससे पहले

खुदाया इससे पहले कि रवानी खत्म हो जाए।
रहम ये कर मेरे दरिया का पानी खत्म हो जाए।

मैं ज़िंदा हूँ मुझे इस बात का या तो यकीं दे दे
वगरना अब ये मेरी बदगुमानी खत्म हो जाए।

हिफाजत से रखे रिश्ते भी टूटे इस तरह जैसे
किसी गफलत में पुरखों की निशानी खत्म हो जाए।

लिखावट की जरूरत आ पड़े इससे तो बेहतर है
हमारे बीच का रिश्ता जुबानी खत्म हो जाए।

लड़ा होगा भला कितना वो खुद से आदमी जिसकी
फकत बचपन बिताने में जवानी खत्म हो जाए।

मुझे खामोशियों ऐसे किसी इक लफ्ज में ढालो
जुबाँ पे जिसके आने से ही मानी खत्म हो जाए।

हजारों ख्वाहिशों ने खुदकुशी कुछ इस तरह से की
बिना किरदार के जैसे कहानी खत्म हो जाए।

२८ अप्रैल २०१४

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter