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अनुभूति में सुशील गौतम की रचनाएँ-

अंजुमन में-
असर मेरी मुहब्बत का
एक कतरा हूँ
तुम गए तो
तुम मिले तो
सुलगती धूप में

संकलन में-
नया साल- आया फिर नया वर्ष

'

तुम मिले तो

तुम मिले तो जिंदगानी जाफरानी हो गई
इक परी के प्यार की प्यारी कहानी हो गई।

कल ठहर सी जो गई थी गाँव के तालाब सी
आज वो उन्मुक्त सरिता की रवानी हो गई।

ये जहाँ लगने लगा अब एक उपवन सा मुझे
जिन्दगी जिसमें महकती रात-रानी हो गई।

जगमगाती चाँदनी भी अब तो पूरी रात भर
हर सहर मेरी सुनहरी औ सुहानी हो गई।

ढूँढने अब लग गई है मेरे अन्दर ही मुझे
किस कदर ये जिन्दगी मेरी दिवानी हो गई।

आज 'गौतम' लिख रहा है नव ग़ज़ल श्रंगार की
वो दुखद गाथा विरह की अब पुरानी हो गई।

२० जनवरी २०१४

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