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अनुभूति में वीरेन्द्र अकेला की रचनाएँ-

अंजुमन में-
अदावत दिल में
दिन बीता
पहले तेरी जेब
महकते गुलशनों में
सूर्य से भी पार
 

 

दिन बीता

दिन बीता लो आई रात
जीवन की सच्चाई रात

अक्सर नापा करती है
आँखों की गहराई रात

सारी रात पे भारी है
शेष बची चौथाई रात

मेरे दिन के बदले फिर
लो उसने लौटाई रात

नखरे सुब्ह के देखे हैं
कब हमसे शरमाई रात

बिस्तर-बिस्तर लेटी है
कितनी है हरजाई रात

सोए नहीं ‘अकेला’ तुम
फिर किस तरह बिताई रात

१ मई २०१७

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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