अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में अशोक आंद्रे की रचनाएँ—

छंदमुक्त में- 
उनके पाँव
उम्मीद
दर्द
नदी
बाबा तथा जंगल

 

दर्द

दर्द बहुत गहरा होता है -
समुद्र को नापा जा सकता है
आकाश को भी प्रकाशवर्ष से
जोड़ा जा सकता है,
लेकिन दर्द-
उसकी थाह नहीं होती है,
उसकी डूब में कोई आधार नहीं मिलता ,
इसकी गहराई विशाल होती है
ये जीवन की
जड़ों के बीच
अपना स्थाई घर बना लेती है
तभी तो मनुष्य
उसे थामने की कोशिश में
ता-उम्र
उसकी गहराई में
गोता लगाता रहता है।

३ दिसंबर २०१२

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter