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अनुभूति में दिविक रमेश की रचनाएँ-

बालगीतों में-
उत्तर उत्तर प्रश्न प्रश्न है
किसको भैया कब है भाया
छोटी छोटी बातों पर
दादा की मूँछों से
हवा हिलाती

अंजुमन में
रात में भी
आए भी तो
हाक़िम हैं

कविताओं में
उम्मीद
एक बची हुई खुशी
बहुत कुछ है अभी
रहस्य अपना भी खुलता है
सबक
जीवन

क्षणिकाओं में
हस्तक्षेप

संकलन में
जग का मेला- चीं चीं चूं चूं

 

उत्तर उत्तर प्रश्न प्रश्न है

एक प्रश्न था, बड़ा विकट था
एक था उत्तर, सहज-सरल था
उत्तर सदा दोस्ती चाहता
पर प्रश्न था ऎंठ दिखाता ।

ख़ुद को सबसे बड़ा समझ कर
उत्तर को वह ज़ीरो कहता
अकड़ अकड़ कर बच्चों को भी
"बोलो मुझको हीरो", कहता॥

उत्तर लेकिन सब बच्चों से
बहुत प्यार से बातें करता
उतर उतर उनके माथे में
बहुत मदद है उनकी करता ।

इसीलिए तो बच्चों को भी
साथ उसी का भाता है जी
प्रश्न देख कर तो हर बच्चा
मुँह फिराना चाहता है जी ।

दोनों की है माँ तो पुस्तक
पर ग़म उसको यही सताता
दोनों ही बच्चे हॆं मेरे
पर अलग क्यों समझ न आता !

शिक्षक से पूछा "पुस्तक" ने
क्या करूँ कुछ तो बतलाऒ
मिल-जुल कर ये रहना सीखें
ऎसा कोई पाठ पढ़ाओ ।

शिक्षक ने तब दोनों को ही
बड़े प्यार से पास बुलाया
कहा कान में जाने क्या कुछ
सबने ही खुश उनको पाया ।

कहा यही था सोचो सोचो
बिन उत्तर बेकार प्रश्न है
न कोई छोटा या बड़ा है
उत्तर उत्तर प्रश्न प्रश्न है ।

१० मई २०१०

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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