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अनुभूति में डॉ. हरेंद्र सिंह नेगी की रचनाएँ

कविताओं में-
गधोत्सव
पानी की तेज़ धारा
उन्मादी
राजा और वजीर

तीन छोटी कविताएँ-
कवि प्यार करता है, घर और पहाड़

 

गधोत्सव

हमारे नेता
गधोत्सव का उद्घाटन करने
नहीं जा सकते
ठीक ही तो है
इनकी किस्मत में कहाँ
कि गधों से रूबरू हो सकें
यह इनका उनसे न मिलने का ही फल है
गधे अब तक ईमानदार हैं
बरना
बोफोर्स, यूरिया, चीनी, चारा-----
में पेशियाँ भुगत रहे होते।

हमारे ही बीच से
तुम शायद सोचना नहीं चाहोगे
कि हम इतने व्यस्त क्यों हैं
हर रोज़ नई-नई
गुत्थियों को सुलझाने में
जो उलझाई हैं हमने स्वयं
अपने ही चारों ओर
हमारे ही बीच से
कोई हृदयहीन पीड़ादायक
खौफ़नाक कदम
उठकर चला जाता है
शून्य की ओर
अपने नीछे रूदन पूरित
अवसाद के बादल छोड़कर
हम व्यस्त हो जाते हैं
पीड़ितों की शिनाख्त करने में
कोई नवीन युक्ति
सामना करने को
ऐसे ही उठने वाले किसी नए कदम का
क्या तुम रोक पाए लेकिन
उस नए कदम को
जो कभी उठा था
और अभी शून्य में कूच
कर गया
अपने पीछे
कराहते, निरीह, निरपराधों
को छोड़कर
वो अब फिर से
रूप बदल कर आएगा
हमारे ही बीच छुपने के लिए
और फिर से विस्फोटित होकर
कूच कर जाएगा
शून्य की ओर।

३ मार्च २००८

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