अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में डॉ. हरेंद्र सिंह नेगी की रचनाएँ

कविताओं में-
गधोत्सव
पानी की तेज़ धारा
उन्मादी
राजा और वजीर

तीन छोटी कविताएँ-
कवि प्यार करता है, घर और पहाड़

 

पानी की तेज़‍ धारा

पहाड़ के अंतस को काटती हुई
महीन रेशों में बदल जाती है
कि कहते थे हमारे बुजुर्ग
गंगा बाल समान हो जाएगी
पानी का तेज़ बहाव
बहा ले जाता है सब कुछ
वर्षों की गाद, कूड़ा तलछट
गंगा तारिणी।
रुको
भगीरथ के पुरखों को तारकर
एक और शहर पार लगाना है तुम्हें
गंगा! ओ गंगा!
कितनों को तारेगी!

३ मार्च २००८

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter