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अनुभूति में डा हृदय नारायण उपाध्याय की रचनाएँ-

अंजुमन में-
फूल काँटों में
फूल हम बन जाएँगे
बाकी सबकुछ अच्छा है

दोहों में-
मधुमास के दोहे

छंदमुक्त में
अनुत्तरित प्रश्न
सूरज, चाँद, फूल और चिड़िया

 

मधुमास के दोहे

आया खत मधुमास का, जब से मेरे पास
तन मेरा धरती हुआ, हो गया मन अकास।

सतरंगी चूनर पहिन, सजी प्रकृति मुसकाय
बौराई अमराइयां, सरसों जी हुलसाय।

कोयल कूके झूम के, भौंरों की गुंजार
बिन माझी की नाव मन, कैसे उतरे पार।

मुख जैसे टेसू खिला, काया किंशुक पाय
आँखें हों गइंर् बावरी, मन मयूर अकुलाय।

मन
में हलचल उठ रही, अंग-अंग मदमाय
ऐसे में तुम हो कहां, मौसम बीता जाय।

१ मार्च २००६

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