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अनुभूति में ज्योत्स्ना मिलन की रचनाएँ

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चार छोटी कविताएँ- भीतर तक, पीछे, होने का शब्द, सह्याद्रि के पहाड़ों में
तितली का मन
दरवाज़ा
पीठ
रात
लगातार
 

 

पीठ

महीने की सबसे अंधेरी रात में
लौटते समुद्र की पीठ से
उसे अपनी पीठ की याद आई
अपनी पीठ को
उसने कभी नहीं देखा
अपने को
उस तरह
पीठ से नहीं जानती थी
जिस तरह उदय को जानती थी
अपनी ओर पीठ किए
अपने आगे-आगे चली जा रही वह
ज़रूरी नहीं कि
अपने को पहचान ही ले।

१४ जनवरी २००८

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