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नींद (१)

सुना था
नींद में आते हैं
खूबसूरत सपने
पर मेरे सपने तो
दफ्न हो चुके
घिनौनी राजनीति के
कीचड़ में।


नींद (२)

रश्क मत करो
मेरी इस छोटी सी खुशी से
कि तुमने
इस नींद के अलावा
छोड़ा ही क्या है
मेरे पास।

नींद (३)

काश
तुमने भी रोपे होते
खुशियों के कुछ पौधे
हम गरीबों के आँगन में
तो आज तुम भी
चैन की नींद सोते।

३ अगस्त २०१५

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