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अनुभूति में कविता सुल्ह्यान की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
आकाश
एक टुकड़ा आसमान
मूक वाणी
सार

गीतों में-
सावन

 

 

आकाश

कभी नेह से
धरा पर बरसता आकाश
कभी क्रोध से चिंघाडता आकाश
कभी अपनी काली घटाओं से
धरा को ढाँकता आकाश
कभी नीली
आखों से
निहारता आकाश

कभी रिमझिम फुहार दे
धरा को सींचता आकाश
कभी समीर के ठण्डे झोंकों से
उसे लुभाता
तो कभी अपनी बाँहों के
असीम घेरे में
उसे नापता आकाश

क्षितिज पर लिए
मिलन का सपना
धरा को ताकता आकाश

१५ जुलाई २०१३

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