अनुभूति में
कविता
सुल्ह्यान की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
आकाश
एक टुकड़ा आसमान
मूक वाणी
सार
गीतों में-
सावन
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सावन
तन पुलकित है, मन हर्षित है
उर आनंद समायो
सावन घर आयो सखी मोरे
सावन मोरे घर आयो
बहुत दिनों से धरती प्यासी
पिया मेघ के मिलन की आसी
रिमझिम-रिमझिम मेघ बरस के
धरनी की प्यास बुझायो
सावन घर आयो सखी मोरे
सावन मोरे घर आयो
हरियाली चहुँ छावन लागी
प्रकृति भी मनभावन लागी
गरगर ---गरगर मेघ गरज के
प्रेम सन्देश सुनायो
सावन घर आयो सखी मोरे
सावन मोरे घर आयो
विरहन के मन आसा जागी
पिया मिलन हो मैं बडभागी
उमड़ -घुमड़ के मेघ ने पी को
विरह सन्देश सुनायो
सावन घर आयो सखी मोरे
सावन मोरे घर आयो
धरनी पर नव अंकुर आए
नवजीवन की आस हैं लाए
तपती प्यासी इस सृष्टि ने
जीवन सन्देश सुनायो
सावन घर आयो सखी मोरे
सावन मोरे घर आयो
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