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अनुभूति में केशव शरण की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
किस्मत ने ऐसा छल किया
पाँव पहिये और सेमल के फूल
बाज, कबूतर और दूसरी चिड़ियाँ
मैं क्यों करूँ स्वीकार

सिर्फ उसके पत्ते झर रहे थे

  बाज, कबूतर और दूसरी चिड़ियाँ

पार्क के
फव्वारे में
पचासों कबूतरों
और दूसरी चिड़ियों ने चोंचें डुबोयी थीं
कि बिना पिये ही
उड़कर जा बैठे
पेड़ों की शाखों पर
बिजली के तारों पर
लाल इमारत के गुम्बदों, झरोखों में
जहाँ भी पाई जगह

तब अनपेक्षित रूप से पधारे
एक बाज ने
एकदम अकेले जल ग्रहण किया
एक वी. वी. आई. पी. की तरह।

३ मार्च २०१४

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