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अनुभूति में केशव शरण की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
किस्मत ने ऐसा छल किया
पाँव पहिये और सेमल के फूल
बाज, कबूतर और दूसरी चिड़ियाँ
मैं क्यों करूँ स्वीकार

सिर्फ उसके पत्ते झर रहे थे

 

मैं क्यों करूँ स्वीकार

एक अपराध का
भंडाफोड़ करता है
एक झूठ को
सच का जामा पहनाता है
यह आदमी है
कि समाचार चैनल
कि अखबार
जिसे लग गया है
पक्षपात का विकार
जो पानी के मुद्दे पर तो
हंगामा खड़ा कर देता है
लेकिन शर्म के मुद्दे पर
चुप्पी साध लेता है

वह देता रहे इश्तहार
करता रहे प्रेरित बहुविधि
लेकिन मैं क्यों करूँ स्वीकार
उसे अपने मूल्यों का प्रतिनिधि।

३ मार्च २०१४

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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