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अनुभूति में कुमार विश्वबंधु की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
अच्छे दिनों की उम्मीद पर
खौफ खाते हुए बच्चे
गाँव के बच्चे
बच्चा बना रहा है चित्र
बच्चे नहीं जाते पार्क


 

 

बच्चा बना रहा है चित्र

आसमान गहरे नीले रंग का है

पंख फैलाए उड़ रहे हैं पंछी

चमक रहा है सूरज
जिसका लाल रंग अभी सूखा नहीं है

एक बहुत ऊँचा हरा-भरा पहाड़

एक पारदर्शी नदी
जिसमें भरा है लबालब पानी
गाँधी जी की उजली धोती की तरह
झक उजला दिन

एक छोटा सा घर
जिसमें भरा जाना है रंग

बच्चा बना रहा है चित्र
और ...
और बदल रही है दुनिया।

२४ मई २०१०

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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