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अनुभूति में कुमार विश्वबंधु की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
अच्छे दिनों की उम्मीद पर
खौफ खाते हुए बच्चे
गाँव के बच्चे
बच्चा बना रहा है चित्र
बच्चे नहीं जाते पार्क


 

 

गाँव के बच्चे

नींद में बड़बड़ करते हैं
गाँव के बच्चे
स‌पना देख के डरते हैं
गाँव के बच्चे

मिट्टी में लेट-सेट
हँसते हैं खाली पेट
नंगे-नंगे फिरते हैं
गाँव के बच्चे

स‌दियों के भूत-प्रेत
बैठे हैं खेत-खेत
परछाई से लड़ते हैं
गाँव के बच्चे

लालटेन के इर्द-गिर्द
बैठे हैं चुपचुप
जाने क्या पढ़ते हैं
गाँव के बच्चे

आँखों में गड़ते हैं
गाँव के बच्चे।

२४ मई २०१०

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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