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अनुभूति में लालित्य ललित की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
आज की परिभाषा
गाँव का खत शहर के नाम
फूल पत्ती और तितली
यात्राएँ
साहब और बड़े साहब

 

 

यात्राएँ

यात्राएँ हमेशा सुख देती हों या
कभी-कभी हताशा भी
इसका मलाल नहीं करना चाहिए
कभी अच्छे लोग होते हैं
कभी-कभी बुरे भी
अच्छे लोग अपनी आदतों के कारण
अच्छे हैं
और बुरे लोग अपने कर्मों के कारण
कभी कभार आपको
निकलना चाहिए खुली हवा में
खुले विचार
मन को नई
ऊर्जा से भर देते हैं
मानों या ना मानो
निकलो घूमो
ठहरो देखो
बैठो, ताको, निहारो
चहको
चलो, बैठो, देखो
आहें लो
चाय की चुस्कियाँ
आपको पूर्ण शिद्दत से
आत्मसात कर देती है
और आप
उन अनुभूतियों के
होकर रह जाते हो
और वे पल
सदा के लिए
आपकी स्मृति कलश
में तटस्थ

१७ दिसंबर २०१२

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