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समय का पुत्र

समय का पुत्र मैं अमीर भी हूँ,
दौलत के टीले पर बैठा तो नही
तंगी की छाँव में अमीर हूँ
क्योंकि समय का पुत्र हूँ।
मानता हूँ पद-दौलत दूर हैं
तंगी की छेंदती छाँव में
कद का धन तो भरूपर है
क्योंकि मैं समय का पुत्र हूँ।
खैर धन की बहार का भी सुख है
दुख भी तो है
बहार छँटते ही चढ़ जाती है
परायेपन की परत
बिसार देते है जो कल खास थे
याद रहता हूँ मैं
फकीरी में अमीरी रचने वाला
क्योंकि मैं समय का पुत्र हूँ।
संघर्षरतरत रूखी-सूखी खाकर
सकून का पानी पिया तंगी की छाँव में
सकून है आज कल पर यकीन
क्योंकि मैं समय का पुत्र हूँ।
गैरो की पीड़ा को अपनी कहा
दर्द में रचा-बसा
पतझड में बसन्त, धूल में फूल ढूढ लेता हूँ
खुद का खुश रखने के लिये
जमाने को देने के लिये
कलम से उपजी अनमोल पैदावार
मैं यही दे सकता हूँ
क्योंकि मैं समय का पुत्र हूँ।

६ सितंबर २०१०

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