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अनुभूति में नरेन्द्र मोहन की रचनाएँ-

कविताओं में-
नृत्यानुभव-१ : रंग-ओढ़नी
नृत्यानुभव-२ :स्पंदित समाधि
नृत्यानुभव-३ :नयी रचना के लिए

` नृत्यानुभव-२ : स्पंदित समाधि

यह कोई तस्वीर नहीं
साँचे से बाहर एक नर्तकी है
चित्र-लिखित-सी
एक पल
राग-रंग-ध्वनियों का सैलाब
दूसरे पल

गति प्रकाश के बेजोड़ खेल में
फैलती, बिखरतीं, उड़तीं रेखाएँ
साँस लेती भाषा
एक नृत्य लिपि

संगीत, चित्र, नृत्य का अंतर्मन
बिंबों, प्रतिबिंबों में
रूपांतरित
हर पल

बनतीं-मिटतीं रेखाएँ-रंग
उभरतीं-लुप्त होतीं भंगिमाएँ
आकार में निराकार
हिलोरें लेता
हदें तोड़ता
अमूर्त में मूर्त, मूर्त में अमूर्त
स्मृति-स्पंदित समाधि!

९ सितंबर २००६

 

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