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अनुभूति में नीलम मिश्रा की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
अनवरत
कुछ भी हो सकता है
एक मुट्ठी
बेटी
यकीनन

 

यकीनन

रिश्तों में
जब स्वार्थ रूपी घुन लगता है
बना देता है
जिन्दगी को एक नासूर
फिर वो सड़ने गलने लगते हैं
फिर सबसे बेहतर इलाज ये है
कि कैंसर के कीड़े की तरह
यह आपको
पूरा का पूरा खा जाए
उस से पहले
उस रिश्ते रुपी अंग को ही...
काट कर फेंक दिया जाए

सड़ी हुई दुनिया के
सड़े हुए लोगों
अभी भी वक़्त है उठ जाओ
और
दो किसी जरूरत मंद को
थोड़ी सी हमदर्दी और थोडा सा प्यार
उन सबसे
कहीं ज्यादा
सिर्फ और सिर्फ थोड़ा सा विश्वास
हम सबने सुना है
और माना भी तो है कि
प्यार और विश्वास तो
दुनिया बदल सकते है
एक संगमरमर को ताजमहल में
बदल सकता है

७ नवंबर २०११

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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