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अनुभूति में नीहारिका झा पाण्डेय की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
एक निवाला
कुछ गढ़ा करो
ज्वलंत विषय
मैं मनुष्य हूँ
शहर

`

कुछ गढ़ा करो

पतिदेव फरमाए
प्रिय, कविताएँ कुछ गढ़ा करो
यों ही थोड़ा अभ्‍यास, थोड़ी कमाई होगी
और लोग पढेंगे जागृत होंगे,
मैंने भी अपना हाल सुनाया,
शब्‍दों का मायाजाल बनाया,
कहा, यों ही लोग महँगाई की मार से
बेहाल हैं,
कविता का बोझ कैसे सह पाएँगे
क्‍यों उनकी मुश्किल और बढाऊँ
ऐसे में सुंदर, सस्‍ती और टिकाऊ कविता
कहाँ से लाऊँ?

४ जुलाई २०११

 

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