अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में पूनम शुक्ला की रचनाएँ -

छंदमुक्त में-
किताबी पढ़ाई
गुलाबी रंग
बोझ
वक्त कम है
समाधान

 

बोझ

जब भी मिलता है
कोई तोहफा
किसी कंपनी से बापू को
बापू उसे रख देते हैं
सहेज कर
छुटकी के दहेज के लिए

जब भी मिलती हैं
साड़ियाँ, नकदी, जेवर
रिश्तेदारों से माँ को
वो भी रख देती है
सहेज कर
छुटकी के दहेज के लिए

माँ और बापू का
ये प्रेम का ढेर देखकर
कहाँ कुछ बोल पाएगी छुटकी
बाँधी जाएगी जिस भी खूँटे से
चुपचाप बँध जाएगी छुटकी

दहेज की माँग से पहले ही
बटोरे हुए दहेज के बोझ से
अपने सारे अरमानों को
दल जाएगी छुटकी ।

२४ फरवरी २०१४

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter