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अनुभूति में राजेन्द्र प्रसाद काण्डपाल की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
आदमी और साँप
आसमान का रोना
गाली बकते बच्चे
मैं
मैं रहबर

 

गाली बकते बच्चे

मैंने देखा
वह मैले कुचैले बच्चे
गालियाँ बकते हैं
एक दूसरे की माँ बहन से नाता जोड़ते हैं
बिना यह जाने कि
सामने वाले की माँ बहन भी
उतनी ही गरीब और असहाय है
जितनी उसकी अपनी माँ और बहन ।
इसके बावजूद
वे लोग
एक दूसरे की माँ और बहन को
बेइज्जत करते रहते हैं
क्योंकि,
वह जानते हैं कि
जिसकी माँ बहन की वह बेइज्जती कर रहे हैं,
वह उतना ही कमजोर और असहाय है,
जितने वह खुद हैं ।

९ जुलाई २०१२

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