अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में रमेश नीलकमल की रचनाएँ —

अगिया बैताल मौसम
कौन जाने
बीसवीं सदी
सन्नाटा

 

बीसवीं सदी

सूख गई संबंधों की महानदी
घिसट-घिसट बीत गई बीसवीं सदी

बिखर गए चौपालों में जले अलाव
भर गए मवादों से अंतर के घाव
सुविधा के आगे लँगड़ाया अपनत्व
घर-घर में फैल गया ज़हरीला तत्व
आँगन में उग आई काँटों का बाड़
पिछवाड़े हुआँ-हुआँ कर रहा सियार
उद्वेलित नारों पर छिड़ा हुआ जंग
लिपे-पुते चेहरे भी लगते बदरंग
नेकी की गोद में पनप रही बदी
घिसट-घिसट बीत गई बीसवीं सदी

लोग यहाँ जीते हैं देख दिवास्वप्न
रो रही मछलियों से कौन करे प्रश्न
हँसने की बात हुआ बौना इतिहास
आज के भगीरथ को खूब लगे प्यास
उम्मीदों पर जीता मन का तटबंध
तन का वृंदावन ज्यों बिहँसे निर्गंध
खंड-खंड प्रेम, भक्ति खंड-खंड बाँझ
ताप तपी राहों पर ज्यों उतरे साँझ
कर्मों की फल-गठरी से लदी-फँदी
घिसट-घिसट बीत गई बीसवीं सदी

9 जनवरी 2007

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter