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अनुभूति में राजेन्द्र नागदेव की रचनाएँ-

कविताओं में-
आषाढ़ में बारिश, एक लँगड़ा और मेघदूत
यह समय
तुम्हें कब्र में
समय झरता रहा
बस यूँ ही
डायनासॉर
रिमोट कंट्रोल

संकलन में-
गाँव में अलाव - एक ठंडी रात

 

डायनासॉर

यह तो
चालीस करोड़ वर्ष पहले का
समय नहीं है
फिर यहाँ क्यों हैं
डायनासॉर?
अश्मिभूत अस्थिपंजर
हो सकते हैं क्या फिर से
जीवित?
हिलडुल सकते हैं?
चलफिर सकते हैं
इस तरह से
कि काँपने लग जाए धरती?
लगता है
कि कुछ ऐसा ही
घट रहा है
जिन्हें चाहिये था
अजायबघरों में होना
मात्र नमूनों की तरह
कि ऐसी भी हो सकतीं हैं
जातियाँ प्रजातियाँ
अथवा थीं कभी
वे विचर रहे हैं
पूरी एक फौज़ की तरह
निर्द्वन्द्व ऩिश्चिंत निर्भय
सड़क के बीचों बीच
गरज रहे हैं प्लेटफार्मों से
ऊँघ रहे हैं
नदियों के तटों पर
ठंडी हवा में।
क्षितिज-रेखा पर
जहाँ मिल रहे हैं
आकाश और समुद्र
समुद्र से
डायनासॉरों के भयावह मुंडों की
लम्बी काली शृंखला
उभरती जा रही है क्षण-प्रतिक्षण
तूफ़ान सा उठ रहा है जल में
उलट रहीं हैं नावें
जो सांध्य-भोजन के लिये
मछलियों की तलाश में
निकली थीं।
डायनासॉर
खींच रहे हैं वायुमंडल से
सहस्त्रों हिरणों, मुर्गियों, बकरियों
कबूतरों के हिस्से की
सारी ऑक्सीजन
रोक रहे हैं
ऊपर ही ऊपर
अपनी दुर्भेद्य त्वचा पर
सूर्य की सारी धूप
और नीचे
सर्दी में
पीली पड़ी घास
जीवन के अंतिम पड़ाव पर
थरथरा रही है।
यह सदी कौन सी है?
किस काल में आकर
बंद हो गई है घड़ी?
खुली आँखों से दिख रहा
यह स्वप्न कैसा है बंधु?
कि गद्दों पर पसरे हुए डायनासॉर
पी रहे हैं सिगार
सिगार से उठती गंध की घुटन से
लगभग मर ही चुकी है
एक नस्ल
एक नस्ल जिसे मनुष्य कहते हैं
मनुष्य का नाम
कब लिखोगे बंधु
लुप्त होती बहुमूल्य संरक्षित
प्रजातियों की सूची में?
लगता है
कि द़ेर हो ही गई।
डायनासॉर जब भी मरेंगे
गिरते हुए
कुचलेंगे बहुतों को
बता दो मेमनों को
बता दो हिरणों को
और मुर्गियों को
कि वे तैयार रहें
उत्सर्ग के लिये।
सुना है
एक बार पहले
काल के गाल में
समा गए थे डायनासॉर
गुज़र रही थी पृथ्वी जब
किसी धूमकेतु की पूँछ से
मैं
ऐसे ही किसी धूमकेतु को
खोज रहा हूँ
अंतरिक्ष में
दूरबीन से
और थक गया हूँ
बता सकता है कोई
तो बताए
काल-गणना करके
कि किस सदी के
किस वर्ष के किस दिन के
कौन से क्षण
पागल की तरह
डायनासॉरों से बोझिल
धरती
किसी धूमकेतु की दिशा में
दौड़ जाएगी
अथवा
किसी भटकते हुए
धूमकेतु को ही पुन:
अचानक इस ग्रह की
याद आएगी?

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