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अनुभूति में राजेन्द्र नागदेव की रचनाएँ-

कविताओं में-
आषाढ़ में बारिश, एक लँगड़ा और मेघदूत
यह समय
तुम्हें कब्र में
समय झरता रहा
बस यूँ ही
डायनासॉर
रिमोट कंट्रोल

संकलन में-
गाँव में अलाव - एक ठंडी रात

 

बस यूँ ही

चाहता तो
बचा सकता था मैं उसे
नहीं बचाया
उन दिनों जब समुद्री हवा में
तूफ़ान की गंध थी
समुद्र-तट पर
धुँधलाई शाम
लहरों पर बहती
काँच की बोतल में बन्द
कागज के टुकड़े पर लिखा संदेश
आता रहा था बार-बार
और लहरों के साथ
जाता रहा था बार- बार
उसे मैंने उठाया ही नहीं
बस यूँ ही उपेक्षावश
बहुत देर बाद उसे उठाया गया
बहुत देर बाद उसे खोला गया
बहुत देर बाद उसे पढ़ा गया
तब तक सब-कुछ
जो नहीं होना चाहिये था
हो गया था
डूबने वाला जहाज के साथ
देर तक प्रतीक्षा कर
धीरे-धीरे डूब चुका था
पता चला कई दिनों बाद
कि जो डूब रहा था
मैं ही था।

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