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अनुभूति में सरिता शर्मा की रचनाएँ-

गीतों में-
बेटी


सवैये में-
मीरा


मुक्तक में-
बीस मुक्तक

दोहों में-
दर्द के दोहे
प्रेम के दोहे
भक्ति के दोहे
वैराग्य के दोहे

संकलन में-
होली है- आए ऋतुराज

शुभ दीपावली- दीप
शुभ दीपावली- माटी के दीपक

 

बेटी
(कन्या भ्रूण हत्या के संदर्भ में)

मैया! जनम से पहले मत मार,
बाबुल! जनम से पहले मत मार।

चाहे मुझको प्यार न देना,
चाहे तनिक दुलार न देना
कर पाओ तो इतना करना,
जनम से पहले मार न देना
मैं बेटी हूँ, मुझको भी है
जीने का अधिकार।

मेरा दोष बताओ मुझको,
क्यों बेबात सताओ मुझको
मैं भी अंश तुम्हारा ही हूँ,
तजकर फेंक न जाओ मुझको
जीने का जो हक़ दे दो तुम,
देख लूँ ये संसार।

थोड़ी नज़र बदल कर देखो,
संग समय के चलकर देखो
बेटी से भी नाम चलेगा,
ठहरो ज़रा संभल कर देखो
चौथेपन की लाठी बन कर
दूँगी दृढ़ आधार।

मैं जब आँगन में डोलूँगी,
मिसरी सी बोली बोलूँगी
सेवा, कस्र्णा, त्याग तपस्या,
के नूतन द्वारे खोलूँगी
दोनों कुल के मान की ख़ातिर
तन-मन दूँगी वार।

१ जून २००५

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