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सर्दियों की धूप
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पंछियों का चतुर्मास
प्रार्थना
रसमडा
सपने में उजाला

 

अमरुद बनाम बिही

सेब की रंगत वाले
लाल०-लाल इलाहाबादी अमरुद के आगे
उतर गया
तखतपुर की मशहूर
मीठी बिही का हरा रंग,

रंग के आगे
फीकी पड़ गयी मिठास भी,

सड़क किनारे पटरियों पर
ढेरी में बिकती थीं
तखतपुर की मीठी बिहियां
अब ठेलों पर सजती हैं
इलाहाबादी अमरूदों की दुकानें ,

बाहर से आने वाले
अमरूदों के साथ
यहाँ की देसी बिहियों का भी
बाज़ार-भाव बढ़ा है
बाज़ार-भाव के साथ-साथ
हैसियत भी,

ज़मीन से उठ कर
ठेलों तक पहुँची है
तखतपुर की देसी बिही भी ,

सड़क से चलकर
ओहदेदार घरों के दीवानखाने तक
पहुँची है
तखतपुर की देसी बिही,

अब बड़े घरों की बहुएं
बैठे-बैठे अपनी क़र में
बड़े आराम से
खरीद सकती हैं
ठेलों पर सजी-धजी
तखतपुर की मशहूर बिहियां
या सेब की रंगत वाले
लाल-लाल इलाहाबादी अमरुद
छांट कर
अपनी पसंद से,

ज़मीन की तरफ झुके बिना ...

४ नवंबर २०१३

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