अनुभूति में
सत्य
प्रकाश बाजपेयी की
रचनाएँ -
छंदमुक्त में-
अंतर्मन
अनंत चतुर्दशी
आज माँ आई थी
घर
देखा देखी
प्रतीक्षा
भूख
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प्रतीक्षा...
पहली किरण के इंतज़ार में...
देर तक जागा
वो 'भोर का तारा' ।
लाली चुनरी लपेटे,
देखने की चाहत समेटे
दौ़ड़ आया तिमिर के पार...
उषा से करता रहा मौन व्यापार
और इंतज़ार...
और इंतज़ार...
आसमान ने बदले पल-पल अपने रंग
रहा चुपचाप...
विराट प्रेम की प्रतिध्वनि..
देती रही दस्तक !
उसके द्वार...
१४ मई २०१२
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