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अनुभूति में शैली खत्री की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
अगहनी धान
जिंदगी और मौत (तीन कविताएँ)
तुम बिन
प्रार्थना
मेरा छल

 

मेरा छल

ज्ञात तो था मुझे
कि तुम
आखिर हो पुरूष ही
वासना के पंक
में रहोगे डूबे
नारी होगी तुम्हारे लिए बिचारी ही
छल, छद्मवेष और प्रेम का झूठा आलाप
भरा ही होगा
तुम्हारी रूह में भी
फिर भी तुम पर विश्वास रख
छला तो मैंने स्वयं को ही

२६ जनवरी २०१५

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