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अनुभूति में सुरेन्द्र कुमार सिंह चांस की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
अक्सर पा लेता हूँ
अभी अभी सूरज ने
जीवन की गली से
भीग रहा हूँ
सुंदर संभावनाओं से
 


 

 

जीवन की गली से

जीवन की गली से गुजरने का
शौक है मेरा
देख लेता हूँ मैं जीवन का सब
उसकी गली से गुजरते हुए

आँखों का चुम्बकीय सम्मोहन
विचारों के उड़ते हुए बादल
और शरीर की पृथ्वी पर
चलता हुआ
अब तक का सबसे बड़ा महाभारत
कितनी सहजता से
विकर्षण
जादुई सम्मोहन में तब्दील हो जाता है
और रच देता है
जीवन के आस पास जटिलताओं
का सम्राज्य
देखता हूँ आजादी का प्रपंच
और आजाद होने कोशिश की
अनभिज्ञता
इस जटिलता की धधकती हुई ज्वाला में

तुम कुछ भी समझो मुझे
इस अनभिज्ञता का कायल मैं
बन जाता हूँ एक सहायक जीवन का
खींच देता हूँ एक अग्नि रेखा
जीवन के चारों ओर
और गुजरता हूँ जीवन की गली से।

अब यहाँ जो दिखता है
वो कहाँ है
मसलन राज कहाँ है
धर्म कहाँ है
सभ्यता कहाँ है
प्यार कहाँ है
और तुम मनुष्य हो तो
मनुष्य होने का एहसास कहाँ है?

अजीब मंजर जीवन की गली का
युद्ध रत हो तुम
और तुम्हारा हथियार तुम्हारे दुश्मन का
लड़ रहे हो तुम
और जीत रहा है तुम्हारा दुश्मन
जीवन की गली से
गुजरने का शौक है मेरा
और देख लेता हूँ मैं जीवन का सबकुछ
इसकी गली से गुजरते हुए।

नया प्रेम है मेरा
यों तो प्यार ही है जीवन से
और होता जा रहा है
जीवन की गली से गुजरते हुए
इसे महसूस करोन
करो पर है
और बढ़ता हुआ।

१ अगस्त २०१६

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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