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अनुभूति में सुरेन्द्र कुमार सिंह चांस की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
अक्सर पा लेता हूँ
अभी अभी सूरज ने
जीवन की गली से
भीग रहा हूँ
सुंदर संभावनाओं से
 

 

 

सुंदर सम्भावनाओं से

सुंदर सम्भावनाओं से
भरी-भरी हमारी जिज्ञासा
जब भी परिंदे की तरह
उड़ती हुई
पास आती है
डूब जाते हैं
मयखाने
छलक उठते हैं पैमाने
और बरसने लगता है जाम
मुस्करा उठते हैं फूल
झाँकने लगता है सूरज
और होती है एक सुबह
आज की तरह।

१ अगस्त २०१६

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