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अनुभूति में वसु मालवीय की रचनाएँ-

गीतों में-
कुछ सपने

अंजुमन में-
कठपुतली

 

कुछ सपने धारावाहिक से

कुछ सपने धारावाहिक से
आकर चले गए

हम केवल दर्शक थे
केवल मंच हमारा था
उन दृश्यों को हमने
अपनी आँख उतारा था
कुछ गायक आए औ’ हमको
गाकर चले गए

कई कई अंको में हमको
यूँ ही बँटना था
पूर्व कथा निर्धारित मुद्रा
क्रमशः घटना था
भाषा के जादूगर
सब उलाझकर चले गए

१ अगस्त २००१

 

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