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अनुभूति में विद्यासागर जोशी की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
अपना रंग अनूप
उसी के जन्म से

खींचचान
छाप का छाप से

जानना
दिखती है वही
नेता जनता और नेता
प्रश्नपत्र कठिन है

 

खींचतान

नारी युग युग से तूने झेले
कैसे कितने अत्याचार
अब आया समय
हिसाब किताब बराबर करें विचार
सत्य तुम आज उलटने को
तत्पर आतुर विधि विधान
यह धरती यह आसमान
अब पुरुष भी राजी
तो क्या पलट गई बाजी
अब होगी क्या आगे आगे नारी
नर उस के पीछे
नारी ऊपर नर उसके नीचे
फिर होगा क्या वही तमाशा
कौन किसे कैसे खींचे
नर नारी क्या खींचतान के झगड़े हैं
कि एक तराजू के पलड़े हैं।

२० जुलाई २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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