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अनुभूति में विद्यासागर जोशी की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
अपना रंग अनूप
उसी के जन्म से

खींचचान
छाप का छाप से

जानना
दिखती है वही
नेता जनता और नेता
प्रश्नपत्र कठिन है

 

नेता जनता और नेता

इतना घनघोर अंधेरा
और यत्र फाँसी के फन्दे
कितने ही कमज़ोर नज़र के
कितने आँखों के अंधे
रुकना झुकना था नहीं जहाँ
कोई वहीं अटक गया
यहाँ वहाँ किसी न किसी फन्दे में
कोई कहीं लटक गया
ऊँच नीच मध्यम राजा रंक भिकारी
धरम करम जाति पांति शत शत नामधरी
खण्ड खण्ड भूखंड में
भारत एक अखंड है
अखंड मानवता ही
मूर्तिमंत भारत माता है।

२० जुलाई २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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