अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में विजयशंकर चतुर्वेदी की रचनाएँ -

छंदमुक्त में-
आखिर कब तक
कपास के पौधे
चूक सुधार
दस मौतें
पृथ्वी के लिए तो रुको

 

 

 

दस मौतें

पहला तीखा बहुत खाता था इसलिए मर गया
दूसरा मर गया भात खाते-खाते
तीसरा मरा इसलिए कि दारू की थी उसे लत
चौथा नौकरी की तलाश में मारा गया
पाचवें को मारा प्रेमिका की बेवफ़ाई ने
छठा मरा इसलि कि वह बनाना चाहता था घर
सातवाँ सवाल करने के फेर में मरा
आठवा प्यासा मर गया भरे समुद्र में
नौंवा नंगा था इसलिए शर्म से मरा ख़ुद ब ख़ुद
दसवा मरा इसलिए कि कोई वजह नहीं थी
उसके जीने की

२९ मार्च २०१०

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter