अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में विोद दवे की रचनाएँ--

छंदमुक्त में-
टेसू
नदी का मर जाना
माँ ने कहा था
मेरा गाँव

 

मेरा गाँव

ख़त्म होती परम्पराओं के मुहाने पर बैठ
मेरा गाँव
अपनी बूढ़ी आँखों से
ताकता रहता है अतीत
और महसूस करता है
ख़ुद में पैदा होता एक शहर
मानो खेत में
मुरझाती फसलों के बीच
लहलहाती खरपतवार
चिढ़ाती रहती है
खेत के बंजर होते स्वाभिमान को।

१ फरवरी २०१७

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter