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अनुभूति में विवेक रंजन श्रीवास्तव 'विनम्र' की रचनाएँ--

छंदमुक्त में-
अँग्रेज़ी माध्यम के बच्चे
घर के पिछवाड़े से

 

 

 

 

अँग्रेज़ी माध्यम के बच्चे

अँग्रेजी माध्यम के बच्चे
नही समझ पाते एकाएक
सत्रह , इंक्यावन या नवासी का मतलब
उन्हें कठिनाई से समझ आता है
अंग्रेजी भावार्थ के बाद
दाम्पत्य, वैराग्य या ऐसे ही शब्दों का अर्थ .
आम के आम गुठलियों के दाम
या
उँट के मुँह में जीरा
जैसी कहावतों और मुहावरों का
वाक्यों में प्रयोग नहीं कर पाते
अँग्रेजी माध्यम के बच्चे
ये बच्चे अँग्रेजी में सोचते,
फिर हिन्दी में लिखते हैं,
निबंध और आवेदन पत्र.
इनसे गलती हो ही जाती है मात्राओं
और हिज्जे में
जिसे वे स्पेलिंग कहते हैं।
कक्षा १० की हिन्दी की परीक्षा के बाद
बड़े खुश होते हैं ये अँग्रेजी माध्यम के बच्चे
कि अब उन्हें नहीं पढ़नी पड़ेगी हिन्दी कभी भी।

हिन्दी शुद्ध हिन्दी का
जब परिहास होता है
फिल्मों और
टीवी पर हास्य कलाकारों द्वारा
तो मुझे अच्छा नहीं लगता,

समय के साथ रहने के लिये
अंग्रेजी माध्यम से ही
पढ़ा रहा हूँ मैं अपने बच्चों को भी
पर मैं याद दिलाना चाहता हूँ
अँग्रेजी माध्यम के बच्चों को कि
इस देश में इस देश से जुड़ने के लिये
जरूरी है हिन्दी
तभी तो देवगौड़ा या सोनिया जी
को भी सीखनी ही पड़ी है हिन्दी .

३० मार्च २००९

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