अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में यदु जोशी 'गढ़देशी' की
रचनाएँ-

कविताओं में-
गति
दोगले चेहरे
नकली है
पहाड़ और मैं
रस्सियाँ
स्वेटर
समय

  गति

एक ही गति से
बदलते हैं दिन रात
और यह काया
समय के रथ के साथ
कुछ दूर करती है कदमताल
फिर दरिया की नौका-सी
डगमगाती है
परिवर्तन की इस त्रासदी में
शब्द डरे-डरे गुमसुम हैं
शब्द दर शब्द पीड़ित हैं
सुने-सुनाए सुझावों से सराबोर हैं
बातों का सिलसिला
सुबह शाम चलता है
कुशलता पल-पल की
तसल्ली का आदान-प्रदान
यही होता है आजकल
दर्द कभी बढ़ता है, कभी घटता है
ब्लडप्रेशर की तरह
और दिन का प्रारब्ध
धड़कनों के वेग को सुनता है
मन घबराता है
समय दौड़ता है अपनी गति से
और पीछे छोड़ देता है मुझे
अपने हाल पर।

24 सितंबर 2007

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter