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अनुभूति में यश छाबड़ा की रचनाएँ

कविताओं में-
आईना
कल्पना
गाँव का कुआँ
फव्वारे का संदेश
बचपन का साथी
बारिश थमने के बाद
वो पुराना घर
हे प्रभु

 

बारिश थमने के बाद

औरों की तरह बारिश मुझे अच्छी लगती है
पर उससे भी ज़्यादा अच्छा मुझे
बारिश थमने के बाद का दृश्य लगता है
आज जमके बरसात हुई
बारिश थमने के बाद
हर तरफ़ ताज़गी नज़र आ रही है
खुशबू भरी मस्त हवा बह रही है
पेड़ पौधे नाच रहे है
पतियों कई रंग गहरा हो गया है
परिंदे पंख सुखाने मे लगे हैं
किसान खोया है नाके लगाने में
गलियों की गंदगी नलों मे बह गई
सड़कें भी शीशों की तरह चमक रही हैं
कहीं-कहीं पानी अभी भी रुका है
खाली पड़े प्लाटों में
जहाँ बच्चे काग़ज़ की कश्तिओं
से खेल रहे हैं
एक दुसरे पर पानी गिराते
खिलखिला रहे हैं
उपर आसमान में जो थोड़े से
बादल बचे थे, वो भी
मुस्कुरा रहे हैं
बच्चों को देख कर
या शायद अपना काम ख़त्म होने पर
बादलों का काम तो खत्म हो गया
पर बच्चों का काम अभी शायद बाकी है

24 मई 2007

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